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कभी नहीं होती इन मासूमों की दीवाली… खास रिपोर्ट

दीपावली पर खुशियों पर इन मासूमों का हक नहीं…???
टूटे हाथ लेकर दीपावली पर भीख मांगने को निकले बच्चों का गुनाहगार कौन….???

नाकारा सिस्टम की भयावह तस्वीर….

इस वीडियो में जख्मी हाथ से ढोल बजाते मासूमों को देखकर आपकी आँखें भर आएँगी…

आज दीपावली है खुशियों का त्यौहार है देश भर में हर्ष है उल्लास है देश और सम्पूर्ण विश्व के लिए ये अंधेरे को खत्म वाला पर्व है लेकिन दीपावली मनाने वाले देश में चंद मासूम नौनिहाल ऐसे भी हैं जिनका जिंदगी का अंधेरा आजादी के 78 साल बाद भी दूर नहीं हुआ है।
आज हम आपको देश के बीमार सिस्टम की एक ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो आपको शर्मसार कर देगा। जहाँ एक ओर देश के काले अंग्रेज़ या कहें लाट साहब अपने बंगलों में चैन से सुरक्षित दीपावली का आनंद ले रहे हैं वहीं दीवाली की अंधेरी रोशनियों के बीच पटाखों की गरज में अपने टूटे हुए हाथ से ढोल बजा रहे इन मासूमों को देखिए जो दीवाली पर इसलिए निकले हैं कि अपने परिवार को दो वक्त का खाना खिला सकें।
इस मासूम के टूटे हुए हाथ देखिए क्या आपको लगता है कि इस हालत में इसे घर से बाहर निकलना चाहिए। हमारे बच्चों को जरा सी खरोंच पर हम दहल उठते हैं उसे बड़े से बड़े डाक्टर से इलाज कराते हैं। सोचिए कितना दर्द होता होगा इस मासूम को ये भारी ढोल कंधे पर लटकाकर बजाते हुए। लेकिन हाय रे मजबूरी पेट तो भरना है अपना और अपने परिवार का भी। जब हमने इनसे बात की तो इनका कहना था कि दर्द नहीं होता, दर्द हो भी कैसे पेट की भूख के आगे सारे दर्द गायब हो जाते हैं।
लेकिन देश के सबसे बड़े त्यौहार की ये तस्वीरें सत्ताधीशों की उस मंशा पर बड़े सवाल खड़े करती हैं जो कहते हैं कि हम अंतिम पंक्ति तक खड़े व्यक्ति के लिए काम कर रहे हैं। दुखद है ये आप इनके ढोल की आवाज ध्यान से सुनेंगे तो इनकी दास्तान सुनाई देगी और साथ में देश‌ के कथित कर्णधारों से सख्त सवाल भी करती नजर आती है।

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