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मंडियों में माफिया का बोलबाला, लेकिन माफिया कौन


मंडी उड़नदस्ते के साथ मंडी माफिया का पार्टी
अवैध परिवहन के साथ मिलीभगत के संकेत

देखिए क्या है मामला

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मध्यप्रदेश की मंडियों में अनियमिताओं के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं लेकिन इस बार ग्वालियर संभाग के संयुक्त संचालक एस के कुमरे द्वारा ही शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बता दें कि बृजेश धाकड़ सहायक उप निरीक्षक के पद पर तैनात हैं जो कि सागर संभाग का कर्मचारी हैं जो संयुक्त संचालक ग्वालियर के निर्देशन में शासन के नियमों को दरकिनार कर ग्वालियर संभाग के उड़नदस्ते में सालों से अनवरत रूप से कार्य कर रहा है। बता दें कि नियमानुसार किसी भी तरह से अन्य संभाग का कर्मचारी या अधिकारी दूसरे संभाग के अधिकारी के निर्देशन या अन्य संभाग में कार्य का नियम नहीं है। बावजूद इसके मनमानी करते हुए संयुक्त संचालक ग्वालियर संभाग एस के कुमरे इस कर्मचारी से अपने संभाग के उड़नदस्ते जैसे कमाऊ दल में कार्य करवा रहे हैं। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें आपराधिक घटनाओं में शामिल रहे एक ट्रांसपोर्ट माफिया जिसका मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड में खास दखल है वह मंडी बोर्ड के कर्मचारियों और उड़नदस्ता दल के साथ गलबहियां करता नजर आ रहा है। शिवपुरी जिले पर मौजूद एक निजी ढाबे पर नाश्ता करते इस ट्रांसपोर्ट माफिया दीपू तोमर का रसूख इस कदर है कि ये एक‌ मंडी कर्मचारी को मरणासन्न करने और उसकी हत्या का प्रयास करने‌ के बावजूद मंडी के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मीटिंग करता नजर आ रहा‌ है। तस्वीरों में आप देखेंगे कि मंडी अधिकारियों और कर्मचारियों को ही अपने मातहत और साथी की जान से खिलवाड़ करने वाले के साथ परहेज नहीं है।

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो को देखकर समझा जा सकता है कि संभागीय मंडियों से लेकर भोपाल मंडी बोर्ड में इस तरह के माफियाओं का जलवा बरकरार है।


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बता दें कि शिवपुरी के ढाबे पर हुई इस बैठक में मंडी उड़नदस्ते के दिग्विजय सिंह, पंकज तोमर, अनिल दोहरे, और सतेंद्र सिंह जादौन नजर आ रहे हैं। यहाँ मंडी बोर्ड के एमडी भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है क्योंकि इस अवैध गठजोड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसकी शिकायत एमडी तक पहुँच चुकी है लेकिन इसके बावजूद एमडी की चुप्पी अलग ही इशारा कर रही है। वहीं इस उड़नदस्ते द्वारा करैरा पिछोर खनियाधाना और शिवपुरी के व्यापारियों के प्रतिष्ठान पर पहुँचने के बाद भी केस न बनाना इस अवैध वसूली वाले गठजोड़ की पुष्टि करता है।
वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की मंडियों में लगातार हो रहे अवैध परिवहन की ये सिर्फ बानगी है पूरा खुलासा अभी बाकी है। लेकिन जब संभागीय अधिकारी ही अपनी जेबें गर्म करने‌ के लिए दूसरे संभागों के कर्मचारियों को अवैध रूप से नौकरी करवा रहे हों तो ये कहना मुश्किल है कि असल माफिया कौन है।

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अहम बात ये है कि आखिर क्या है इन मंडियों में जो कर्मचारी यहाँ आता है वो यहीं का होकर रह जाता है। एक ही‌ कार्यालय में 10-12 साल से लगातार काबिज कर्मचारियों के राजनीतिक रसूख के आगे मंडी बोर्ड के एमडी भी असहाय नजर आते हैं अगले एपिसोड में देखिए ये खास रिपोर्ट कौन कब कितना कहाँ है पदस्थ।

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