ग्वालियर में बी एन राव मार्ग का नामकरण_रक्षक मोर्चे ने किया ऐलान

ग्वालियर में अम्बेडकर की मूर्ति लगने के बाद बी एन राव समर्थकों का गुस्सा 

आक्रोशित रक्षक मोर्चे ने कलेक्ट्रेट रोड को घोषित किया बी एन राव मार्ग 

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एंकर-:मध्य प्रदेश के ग्वालियर में संविधान निर्माता के नाम के तौर पर डॉ भीमराव अंबेडकर और बीएन राव के बीच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक पक्ष संविधान निर्माता के तौर पर अंबेडकर को पूज रहा है तो दूसरा पक्ष बीएन राव को संविधान निर्माता के तौर पर स्थान दिलाना चाहता है ऐसे में जिले के चिनौर कस्बे में अंबेडकर की प्रतिमा रखते ही एक बार फिर यह विवाद गहराता नजर आ रहा है। अम्बेडकर की मूर्ति रखने के बाद ग्वालियर शहर में बी एन राव समर्थकों ने रात को प्रशासन की नाक के नीचे राजमाता चौराहे से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक जाने वाली रोड का नाम ही बीएन राव के नाम पर रख दिया। सड़क पर बाकायदा तख्तियां गाढ़कर बी एन राव मार्ग के नाम पर इस पूरी सड़क के नामकरण की मांग की गई है। कलेक्ट्रेट रोड पर बीएन राव मार्ग लिखी तख्तियां लगाने पहुंँचे रक्षक मोर्चा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को जिस तरह से चिनौर में स्थापित किया गया है उसको लेकर जिले की कलेक्टर पर सवाल खड़े हो रहे हैं ऐसे में बी एन राव समर्थकों को ना तो प्रतिमा लगाने की परमिशन दी जा रही है और ना ही किसी सड़क का नामकरण करने दिया जा रहा है। ऐसे बीएन राव समर्थको ने खुद एक पूरी महत्वपूर्ण सड़क का नामकरण की तख्तियां गाड़ते हुए परमीशन मांगी है। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है, कि किसी भी सरकारी जगह पर जब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को लगाया जा सकता है तो फिर उनकी मांगों को भी प्रशासन दरकिनार नहीं कर सकता है। और अगर ऐसा करता है तो यह सीधे तौर पर संविधान और कानून के नियमों की धज्जियां उड़ाना है। देखना होगा कि बीएन राव समर्थकों द्वारा उनके नाम की तख्तियां लगाने के बाद जिला प्रशासन का क्या रूख रहता है क्योंकि जिला‌‌ प्रशासन ने दलित संगठनों के दबाव में चीनौर में अम्बेडकर की प्रतिमा लगाने कि अनुमति देकर इस विवाद को हवा‌ दे दी है।

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