ग्वालियर में रक्षक मोर्चे द्वारा आयोजित रामचरित मानस पर प्रशासन की रोक।
अनिल मिश्रा का सरकार पर निशाना_दलित संगठनों को अघोषित मंजूरी सवर्णों के लिए भगवान का नाम लेने पर प्रतिबंध।
एंकर – ग्वालियर में बी एन राव समर्थक रक्षक मोर्चे द्वारा सिटी सेंटर स्थित हनुमान मंदिर में रामचरितमानस का पाठ आयोजित करने से पहले ही मंदिर में तालाबंदी कर दी गई। मौके पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी से भड़के रक्षक मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने बीच सड़क पर बैठकर धरना दे दिया और पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए। ग्वालियर में 15 अक्टूबर को दलित संगठनों के आंदोलन के आह्वान से ठीक पहले रक्षक मोर्चे के इस रामचरित मानस के पाठ को रोकने पर एडवोकेट अनिल मिश्रा और रक्षक मोर्चे ने प्रशासन के इस दोहरे रवैये पर सवाल खड़े किए हैं। वही रामचरितमानस के लिए मांगे गए टेंट को पुलिस द्वारा वापस लौटने से अनिल मिश्रा और मौके पर मौजूद सीएसपी हिना खान में विवाद भी देखने को मिला, जिसमें अनिल मिश्रा का सीधे तौर पर आरोप है के दलित संगठनों ने जिस तरह से पूरे शहर में बिना अनुमति दर्जनों आंदोलन किया उसे पर पुलिस प्रशासन ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है। ये सरकार और मुख्यमंत्री सनातन विरोधी है। वही रक्षक मोर्चे के जय श्री राम नारे लगाने पर सीएसपी
बी एन राव समर्थक एडवोकेट अनिल मिश्रा ने सरकार पर अंबेडकरवादी होने के आरोप लगाए हैं उनका यह भी कहना है कि जिस तरह से सरकार ने सनातन धर्म के नाम पर चुनाव में वोट मांगे लेकिन इसके बाद सनातनी सरकार को अगले चुनाव में सबक सिखाएगा।
