ग्वालियर
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हिंदवी स्वराज का सपना देखकर उसे साकार करने वाले छत्रपति शिवाजी राजे महाराज की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा बुधवार दोपहर को ग्वालियर पहुंची। यहां नाका चंद्र बदनी पर इस प्रतिमा का मराठा समाज और शहर के प्रबुद्ध लोगों ने स्वागत किया। उल्लेखनीय है कि यह प्रतिमा करीब डेढ़ महीने बाद 8 मार्च को जापान की राजधानी टोक्यो में स्थापित होगी। वहां के राजा इस प्रतिमा का लोकार्पण करेंगे। ग्वालियर में इस प्रतिमा का लोगों ने आत्मियता से स्वागत किया। अष्टधातु से निर्मित इस प्रतिमा को पुणे में तैयार किया गया है और इसे विराज खरातकर और विपुल खराटकर ने बनाया है। इस प्रतिमा के साथ पुणे के उत्तम राव थोरात चल रहे हैं। उनके साथ विवेक खरातकर भी इस यात्रा में साथ है। भारत में यह प्रतिमा विभिन्न शहरों कस्बों और गांव का करीब 7000 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। फिलहाल गुरुवार सुबह यह प्रतिमा आगरा के लिए रवाना होगी। जहां शिवाजी महाराज को औरंगजेब ने अपनी कैद में रखा था और वह मुगलों को झांसा देकर वहां से निकल भागे थे ।
मुगल साम्राज्य के दांत खट्टे करने वाले महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 8 फीट की अष्टधातु की बनी प्रतिमा पहली बार विदेश की धरती पर स्थापित होने जा रही है। इसमें एक स्पेशल फाइबर का भी उपयोग किया गया है जो इस मूर्ति को भूकंप से बचाएगा। चूंकि जापान में भूकंप का खतरा बना रहता है इसलिए मूर्ति को भूकंपरोधी बनाया गया है इस मूर्ति की लाइफ तकरीबन 500 साल से ज्यादा बताई गई है।
16 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे से शिव स्वराज रथ यात्रा शिवाजी महाराज की प्रतिमा को लेकर निकाली है। महाराष्ट्र के सतारा में शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
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