दिव्यांग मासूमों की पढ़ाई में रोड़ा बन रहा शिक्षा विभाग,
प्रशासन भी नहीं सुन रहा दिव्यांगों की गुहार
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ये मासूम पढ़ना चाहते हैं आगे बढ़ना चाहते हैं और पढ़कर अपने समाज प्रदेश और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। लेकिन इन बच्चों की पढ़ाई के आगे अब प्रशासन ही दीवार बनकर खड़ा हो गया है। जनसहयोग से संचालित ग्वालियर की एकमात्र संस्था दिव्यांग स्कूल दिव्य दृष्टि एज्यूकेशन वेलफेयर सोसायटी में लगभग 70 से ज्यादा दिव्यांग बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अल्प संसाधनों के बीच बच्चों में पढ़ने की ललक और जज्बा देखते ही बनता है। इनमें से दो बच्चे दसवीं क्लास की मेरिट में स्थान पा चुके हैं। वहीं कुछ बच्चे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
बता दें कि ग्वालियर में दिव्यांग बच्चों का एक भी विद्यालय नहीं है जिसमें केवल दिव्यांग बच्चों अपनी पढ़ाई कर सकें। दिव्य दृष्टि एज्यूकेशन के संचालक अंकुश गुप्ता की मानें तो 2016 से अब तक यह दिव्यांग स्कूल जन सहयोग से संचालित हो रहा है। स्कूल के पास ना तो खुद की बिल्डिंग है और ना ही कोई ऐसा स्थान जहां बच्चों को शिक्षा दी जा सके। अंकुश गुप्ता कहते हैं कि उन्हें अब तक ना तो स्कूल चलाने के लिए मान्यता मिली है और ना ही शासन से कोई सहयोग लेकिन बावजूद इसके 9 वर्षों से ऐसे बच्चों को तैयार कर रहे हैं जो ना देख सकते हैं ना वह ना बोल सकते हैं अपना ही सुन सकते हैं वहीं कई मासूम तो ऐसे हैं जो मानसिक रूप से बीमार भी हैं लेकिन बावजूद इसके जिन्हें उनके परिवार नहीं अपनाते अंकुश उन्हें शिक्षा की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
बाइट-: अंकुश गुप्ता (संचालक दिव्य दृष्टि एज्यूकेशन वेलफेयर सोसायटी ग्वालियर)
वहीं बच्चों की बात की जाए तो इन तस्वीरों में आप देखेंगे की जो बच्चे देख सुन नहीं सकते बोल नहीं सकते वे बच्चे कितनी तेजी से इशारों में ABCD की पूरी जानकारी दे देते हैं। इन्हें पढ़ाने वाली
भी एक छात्रा स्वाति पाल कहती हैं कि इन बच्चों में प्रतिभा है ये आईएएस आईपीएस बन सकते हैं। साइन लैंग्वेज के जरिए ये बच्चे अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। जैसे आम लोगों की पढ़ाई होती है वैसे ही इनकी पढ़ाई होती है।
https://www.instagram.com/reel/DFr7uSHIrPb/?igsh=a2NsNTRucms0cW52
बाइट-: स्वाति पाल