सिंधिया के संसदीय क्षेत्र में शिक्षा की बदहाल तस्वीर_फिर भी मदद का ढिंढोरा

विकासपुरूष सिंधिया के गुना में जर्जर स्कूल_मासूम छात्रों की मदद के बहाने अपनी ब्रांडिंग

क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते और शायद इसीलिए ही बच्चों के मूलभूत और मौलिक अधिकारों पर देश के कथित कर्णधारों की नजर नहीं पड़ती। जी हां यह हुआ है देश भर में विकास के मसीहा कहलाए जाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना में। दरअसल विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले ग्वालियर चंबल के कथित महाराज अपनी ही लोकसभा के मासूम बच्चों की पीड़ा को देख नहीं पाए। और जब इन मासूम बच्चों की समस्या को कुछ मीडिया चैनलों ने दिखाया तो एक पार्षद स्तर के कार्य हेतु महाराज ने केवल सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए बच्चों के लिए की जाने वाली मदद का बाकायदा ढिंढोरा पीट दिया। प्राचीन काल में राज्य महाराज किसी भूखे गरीब के यहाँ मदद करने के लिए आधी रात को धन की पोटली फेंक आते थे वह निर्धन परिवार उसे भगवान का प्रसाद समझकर ईश्वर का आभार मानता था। लेकिन आज के नेता अपने छोटे से छोटे कामों का ढिंढोरा पीटते नजर आते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत जरा सी मदद करके भी सस्ती लोकप्रियता का कोई भी मौका नहीं छोड़ते।
ताजा मामला सिंधिया की संसदीय सीट गुना का है जहां बमोरी विकासखंड के सांगई गांव स्थित मार की महू प्राथमिक विद्यालय जर्जर होने के चलते एक टपरे में छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ने की तस्वीर सामने आई थी जिसके बाद गुना लोकसभा के सांसद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बेंगलुरु में होते हुए भी फोन पर गुना कलेक्टर किशोर कन्याल से चर्चा कर टपरे में पढ़ रहे बच्चों के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस दौरान कलेक्टर किशोर कन्याल से हुई बातचीत का एक वीडियो बनाकर महाराज की पीआर टीम द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल किया गया जो कई चैनलों पर कई अखबारों में नजर आया। हम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस प्रयास की सराहना करते हैं कि उन्हें बच्चों की परेशानियों का आभास हुआ इसके बाद उन्होंने तत्काल प्रभाव से प्रशासन को आदेश दिए लेकिन हमारा सवाल है कि एक जरा से काम के लिए क्योंकि उन मासूम बच्चों की मूलभूत आवश्यकता भी है। लेकिन इसके लिए इतना आडंबर क्यों इतना प्रचार प्रसार क्यों…?

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