क्या ग्वालियर का गौरवशाली इतिहास होगा खंडित
मराठा साम्राज्य के पिलर रहे सिंधिया राजवंश में बँटवारे के बाद क्या होगा
अटक से कटक तक अपनी तलवार के दम पर मराठा साम्राज्य और हिंदवी स्वराज की पताका फहराने वाले सिंधिया या कहें शिंदे राजवंश का सूर्य अब अस्त होने वाला है आज हम आपके लिए लाए हैं एक ऐसा खुलासा जो आपके होश उड़ा देगा और ग्वालियर चंबल अंचल की जनता क्के लिए यह एक बड़े झटके से कम नहीं है क्योंकि अब ग्वालियर के लोग अपनी विरासत की प्राचीन गाथाएं लोगों को नहीं सुना पाएँगे देखिए यह खास रिपोर्ट।
क्या ग्वालियर से उसका ताज छीन लिया जाएगा क्या सिंधिया राजवंश की वो सदियों पुरानी आन बान और शान अब इतिहास की पन्नों में दफन हो जाएगी इससे बड़ा सवाल यह है कि सिंधिया राजवंश के उत्तराधिकारी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पूर्वजों की विरासत को अक्षुण्ण रखने में असफल रहे हैं।
यह सवाल उस समय उठता है जब 15 वर्षों से बुआ और भतीजे के बीच जारी कानूनी लड़ाई में न्यायालय ने फैसला अब सिंधिया राज परिवार के कर्ताधर्ताओं के ऊपर छोड़ दिया है। सिंधिया राजघराने की 40,000 करोड़ की प्रॉपर्टी पर पिछले डेढ़ दशक से चल रहे संपत्ति विवाद के चलते अब सिंधिया राजघराने की साख खतरे में नजर आ रही है अहम बात यह है कि क्या 90 दिनों के अंदर राणोजी राव शिंदे दत्ता महाराज जयाजीराव सिंधिया माधव राव सिंधिया समेत मराठा साम्राज्य की नींव रहे उन वीर योद्धा और शासकों की विरासत के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे जिसे उन्होंने अपने खून से सींचा था। 1731 से अटक से कटक तक अपनी तलवार का लोहा मनवाने वाला सिंधिया शिंदे साम्राज्य टूट कर बिखरने वाला है।
यहां एक सवाल और भी है कि राजसी माहौल के अभ्यस्त हो चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के सुपुत्र और भावी उत्तराधिकारी महान आर्यमन सिंधिया अब एक केवल धनाढ्य युवा के रूप में पहचाने जाएँगे। दरअसल सवाल बहुत सारे हैं लेकिन देशभर में फैली सिंधिया राजवंश की संपत्तियों के दावेदारों में से कोई भी त्याग करने को राजी नहीं है क्योंकि मामला हजारों करोड़ों की दौलत का है और खून के रिश्तों पर अकूत दौलत भारी पड़ी।
हमारा सवाल केवल इतना है कि महल के टुकड़े होने के बाद क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके पुत्र महान आर्यमन सिंधिया पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया और सिंधिया परिवार से जुड़े वह तमाम सरदार सामंत जो अब तक अपनी विरासत पर गर्व करते थे केवल एक आम आदमी बनकर रह जाएंगे और हो यह भी सकता है कि सिंधिया राजवंश द्वारा सदियों तक संजोई गई धरोहर और विरासत के हजारों किस्से कहानियां अब सुनने को नहीं मिलेंगे जो बचपन से हमारे बाबा और नाना सुनाया करते थे।
इस विघटन का सबसे बड़ा नुकसान होगा उस ग्वालियर चंबल अंचल की जनता को जिसे सिंधिया शासक पीढ़ियों से अपना परिवार मानते रहे हैं जो पूरे देश में सिंधिया राज परिवार का बखान करते नहीं थकती थी और ग्वालियर को सिंधिया राजवंश के नाम से ही पहचाना जाता था और अब भी पहचाना जाता है । रियासत काल में 22 रियासतों के सिरमौर रहे मराठा शासक सिंधिया का सूर्य अस्त क्या अपनों की ही आपसी फूट का नतीजा है।
एंकर-: देश के चर्चित राज घराने में शुमार सिंधिया राजघराने में पिछले डेढ़ दशक से चल रहे लगभग 40 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति विवाद के समाधान की उम्मीद जगी है। इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीनों बुआओं (वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे) को आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का आदेश देते हुए कोर्ट इसके लिए 90 दिन का समय दिया है।
वीओ- साल 2010 से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीनों बुआओं वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे में चल रहे लगभग 40 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति विवाद में ग्वालियर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में “तीनों बुआओं” के अधिवक्ताओं ने सहमति से विवाद खत्म करने की अर्जी लगाई और सिविल रिवीजन वापस ले ली है। हाईकोर्ट ने भी दोनों पक्षों को समझौते के लिए पर्याप्त समय और कानूनी सुविधा दी हैं। दोनों पक्षों को तीन माह में समझौते की औपचारिक कार्यवाही पूरी करनी होगी। तय समय में समझौता नहीं हुआ तो याचिका फिर से बहाल कर दी जाएगी।
बाइट- चैन सिंह
एडवोकेट याचिकाकर्ता
(वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे)
बाइट- संजय शितोले
एडवोकेट याचिकाकर्ता
(वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और उषा राजे)
गौरतलब है कि साल 2010 में उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे ने अपने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ वाद पत्र दायर करते हुए कहा था कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी बराबर का अधिकार है जो उन्हें दिया जाए। इस पर भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दावा पेश किया था। दोनों मामले जिला न्यायालय में लंबित रहे बाद में पुराने मामले के त्वरित निराकरण के निर्देश के चलते यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा और साल 2017 से सिविल रिवीजन लंबित थी।