क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते_सरकार की उपेक्षा के शिकार देश का भविष्य

बच्चे वोट नहीं देते तो सरकारें भी ध्यान नहीं देती….

देश के भविष्य की जान खतरे में नेता गहरी नींद में

क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते…

झालावाड़ हादसे के बाद भी गहरी नींद में मध्यप्रदेश सरकार

गुना से ग्वालियर के सैंकड़ों स्कूल जर्जर

आपदा में अवसर तलाश रहे जिम्मेदार

विकास पुरुष ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना में तिरपाल तले पढ़ रहे बच्चे

प्रदेश के कई स्कूल जर्जर स्थिति में_ जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला

ग्रामीण क्षेत्रों में हालात बदतर_ नहीं पहुंँचते अधिकारी

क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते इसलिए बच्चों के स्कूल भी सरकारी उपेक्षाओं के शिकार हो जाते हैं। हर साल की बारिश में जब कुछ स्कूल धराशाई हो जाते हैं देश के भविष्य कहे जाने वाले मासूम बच्चे स्कूल भवन में दबकर दम तोड़ देते हैं तो सरकारी जागती हैं क्योंकि सरकारों को जगाने के लिए मासूम बच्चों की बलि जरूरी है। हालांकि इससे पहले तो आम जनता भी हमें क्या करना वाली मानसिकता को लेकर लाट साहब अफसर और नेताजी की चमचागिरी करती नजर आती है। देश में हो रही स्कूल दुर्घटनाओं में मासूम बच्चों की हत्याओं का सच कभी बाहर नहीं आ पाएगा और ना ही दोषियों को कभी सजा मिलेगी। ऐसी घटनाओं को प्राकृतिक आपदा का नाम देकर आपदा में अवसर खोजने वाले इन मासूमों के हत्यारे अफसर और नेताओं को शर्म नहीं आएगी और ना ही उन्हें जरूरत है क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते। और यही वजह है की मासूम बच्चों के लिए देश की सरकार के पास बजट नहीं है और इसलिए हजारों स्कूलों को ताला लगा दिया गया। राजस्थान के झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे में सरकार द्वारा की गई मासूम बच्चों की हत्या के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार जागी नहीं है अकेले मध्य प्रदेश में सैकड़ों स्कूल भवन जर्जर हैं। अफसर कह रहे हैं कि हमने शासन को पत्र लिखा है ध्यान आकर्षित किया है लेकिन शासन के पास हजारों काम हैं बच्चों की चिंता कौन करे मध्य प्रदेश के विकास पुरुष ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां भी हाल बदतर हैं क्योंकि कई स्कूलों में भवन जर्जर हैं छत गिरने वाली है बच्चे तिरपाल में पढ़ने को मजबूर हैं। वैसे भी यदि बच्चों की मौत से पहले स्कूल की छत की मरम्मत हो गई तो मीडिया नहीं दिखाता। अखबारों में फोटो और राजनीति में चमक तब आती है जब बच्चों की मौत पर सरकारें मुआवजा बांटती हैं। और उनके मां-बाप भी सोचते हैं जीते जी खर्च हो रहा था मरने के बाद बच्चा कुछ तो देकर गया और यही वजह है की मां-बाप भी सरकार के इस भ्रष्टाचार निकम्मेपन और हत्याओं की साज़िश में लिप्त अफसरों नेताओं पर सवाल नहीं उठाते। क्योंकि बच्चे वोटर नहीं होते।

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