क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एकला चलो की राह पर चल पड़ा है या फिर आज की तरुणाई के मन में आरएसएस के प्रति रूचि कम हो रही है…
दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे देश में मौजूद विभिन्न समाजों के नौनिहालों युवाओं और बुजुर्गों के मन मस्तिष्क में राष्ट्र भक्ति की भावना जगाने वाला ऐसा संगठन है जिसने किसी भी तरह के जातिवाद भेदभाव से परे होकर आजादी के पहले और बाद में समाज और देश के बड़े तबके को प्रभावित किया है और निरंतर करता रहा है।
लेकिन ये सवाल हमारे मन में उस समय उठता है जब हम युवा तरुणाई की भीड़ में केवल एक स्वयंसेवी कार्यकर्ता और एकमात्र बच्चे को शाखा में भाग लेते देखते हैं, यहाँ तस्वीरों में आप देखेंगे कि पूरे पार्क में लोगों की भीड़ है लेकिन एकमात्र बुजुर्ग संघ कार्यकर्ता अपने साथ केवल एक बच्चे को शाखा के तमाम सारे क्रियाकलाप सिखाने में जुटा है, कहीं सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और राष्ट्रवाद के प्रति उदासीनता तो इसका कारण नहीं हालांकि वर्तमान परिदृश्य में युवा केवल सोशल मीडिया पर ही राष्ट्रभक्ति दिखा कर राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है,
हालांकि इन तस्वीरों में मुझे एक दूसरा पहलू भी नज़र आया वो ये कि शायद यही एकला चलो का विचार संघ को विश्व का सबसे बड़ी ताकत बनाता है क्योंकि एक ही सही लेकिन हर रोज भगवा ध्वज को नमन करने की परंपरा को ऐसे ही कार्यकर्ता जीवित रखे हुए हैं।