यहाँ मंत्री कलेक्टर झूठ बोलते हैं सरकारी जमीन पर बना दी कॉलोनियाँ किसे मिला कितना हिस्सा…? देखिए खास रिपोर्ट

यहाँ कलेक्टर और मंत्री भी झूठ बोलते हैं
ग्वालियर में सरकारी जमीनों पर सैंकड़ों कॉलोनी,
पटवारी आरआई तहसीलदार एसडीएम और कलेक्टर से लेकर मंत्री भी लूट में शामिल,
देखिए खनन भू माफिया से कौन कौन ले रहा माल

ungali.in की Exclusive Report
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एंकर -: ग्वालियर में अफसरों की नाक के नीचे भू माफियाओं का खेल जारी है यहाँ हरे भरे पहाड़ों में अवैध उत्खनन कर कॉलोनियों का निर्माण बड़े पैमाने पर हो रहा है, ऐसा नहीं कि शिकायतें नहीं होती यहाँ पर प्रशासन और नगर निगम के अफसर आते हैं पुलिस बल भी आता है जांच भी होती है लेकिन कार्रवाई कभी नहीं होती यही वजह है कि‌ ग्वालियर में भू माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और भू माफिया मंत्रियों की शह पर पूरे शहर को NO Oxigen जोन बनाने पर तुले हैं।
वीओ-: एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव प्रकृति पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर भू माफिया शासन प्रशासन की नाक के नीचे हरे भरे पहाड़ों को खत्म करने में लगे हैं प्रशासनिक अफसर को शिकायत करने पर वे मौके पर तो पहुंचते हैं लेकिन सालों बाद भी कार्रवाई नहीं होती तमाम कलेक्टर बदले एसडीएम बदले यहां तक की आर ए पटवारी और नगर निगम के तमाम अफसर यहां पहुंचे लेकिन अब तक कार्रवाई के नाम पर शून्य नजर आता है, सरकारी पैसे की बर्बादी का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिलता जब शहर के बीचों बीच पॉश इलाके में सिटी फॉरेस्ट को विकसित किया जा रहा है लेकिन जो पुराने जंगल पेड़ पौधे और पहाड़ है उन्हें प्रशासनिक अफसर और भू माफिया खत्म करने में लगे हैं, हाल ही में कांग्रेस विधायक इस मुद्दे को उठा चुके हैं और मंत्री भी अवैध खनन माफिया और भू माफियाओं पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाते हैं लेकिन यह कार्रवाई कब होगी यह कोई नहीं जानता, जब हमने प्रशासनिक अफसरों से इस मामले में बात करने की कोशिश की तो कलेक्टर समेत भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे तमाम अफसरों ने कैमरे के सामने आने से ही इनकार कर दिया।

देश में अब साँसों का संकट लगातार बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि सरकारें जनप्रतिनिधि और पर्यावरणविद् कितनी भी बातें कर लें जब तक स्थानीय नेताओं अधिकारियों और भू माफियाओं का गठजोड़ नहीं टूटेगा साँसों का खतरा बरकरार रहेगा,

आज हम आपको एक ऐसे इलाके तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जहाँ प्रशासन नगर निगम स्थानीय नेताओं की मिलीभगत और शासकीय अधिकारियों के निजी स्वार्थ के चलते सरकारी पहाड़ पर स्थित समूचे जंगल को काट कर अवैध कॉलोनियों का निर्माण कर दिया गया, शिकायत करने पर यहाँ कलेक्टर कमिश्नर और एसपी के साथ पूरा प्रशासनिक अमला पहुँचा लेकिन भू माफियाओं के राजनीतिक रसूख के आगे सबने घुटने टेक दिए,

आप यहाँ देखेंगे कि बहोड़ापुर इलाके में भू माफियाओं ने सीलिंग की पहाड़ी‌ को काटकर बहुत सारी छोटी छोटी कॉलोनियां बना दीं और इसमें ऐसे हजारों लोगों को ठगते हुए सपनों का आशियाना बनाने के जाल में फांस कर हजारों‌‌ करोड़ रूपयों के वारे न्यारे कर लिए, और‌ स्थानीय नेताओं के संरक्षण में भूमाफियाओं ने प्रशासन पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों को भी बड़ा हिस्सा दिया,

ये हम बिना सबूत के या बेवजह नहीं कह रहे हैं ये तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि हर बार पुलिस प्रशासन और नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी यहाँ जांच करने पहुंचे लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात निकला क्योंकि इस पहाड़ी पर काबिज लोग 1990 से ही पहाड़ का बड़ा हिस्सा काटकर बेच चुके हैं और भ्रष्ट अधिकारियों को खरीदना उनके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था

वहीं आपको बता दें कि इस मामले में प्रदेश के मंत्री भी झूठ बोलते हुए नजर आए क्योंकि चुनावी फंड तो सरकारी जमीनों को बेचकर ही आता है, वर्तमान कलेक्टर तो इस तरह के मामलों में दिव्यांग नजर आती हैं लेकिन तत्कालीन कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने भी केवल खनिज विभाग को आदेश देकर शुरुआती कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन भू माफियाओं के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने से बचते नजर आए।

बड़ा सवाल ये है कि लगभग 100 बीघा से ज्यादा के हरे भरे जीवन देने वाले पहाड़ों को तिल तिल कर मारने वाले और साँसों के हत्यारों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाएगी या फिर चंद रूपयों के लिए हर माफिया के आगे दुम हिलाने वाले अफसर और नेता देश की जनता को ऐसे ही बढ़ते तापमान की भट्टी में झोंकते रहेंगे।
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