ग्रीन बेल्ट को खत्म करने वाले निगम प्रशासन के खिलाफ प्रकृति पर्यावरण प्रेमियों का हल्लाबोल
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बच्चों हम शर्मिंदा हैं पेड़ों कै कातिल जिंदा हैं….
जी हाँ आने वाले समय में हमें अपनी भावी पीढ़ी को ये कहना पड़ सकता है क्योंकि हमारे देखते ही देखते शहर के हजारों लाखों पेड़ कथित विकास की भेंट चढ़ गए सरकारें हमारी भावी पीढ़ी की साँसों को धीरे धीरे कम करती रहीं और हम गूंगे बहरों की तरह देखते रहे, वर्तमान में भी यही हो रहा है, चंद इंसानियत के दुश्मन जो हमारे समाज में से ही आते हैं ये राजनीतिक रसूख के साथ प्रशासनिक और आर्थिक रूप से इतने ताकतवर हैं कि इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ा सकता ये शहर प्रदेश और देश के जो चाहे करते हैं और हमारा शासन प्रशासन इनके द्वारा फेंके गए चांदी के टुकड़ों के आगे घुटने टेक देता है।
ताज़ा मामला ग्वालियर के सबसे पॉश इलाके एजी ऑफिस के नजदीक है जहाँ एक बिल्डर को लाभ देने के लिए बड़े बड़े दरख्तों को काट दिया गया, हमने जब इस पर सवाल उठाए तो यहाँ बड़े पेड़ काटने के बदले चंद पौधे लगाकर निगम प्रशासन ने अपना कर्तव्य निभा दिया, यहाँ एक सवाल उठता है कि यदि हमारे पूर्वजों ने भी यही किया होता तो क्या हम सब आज सांस ले पाते..?
पर्यावरण प्रेमी राज चढ्ढा का कहना है कि नगर निगम बाप को मारकर दस बेटे पैदा करने की कोशिश कर रहा है, जब हमने मौके पहुंचे प्रकृति पर्यावरण प्रेमियों की चर्चा सुनी तो हम भी दंग रह गए क्योंकि पेड़ों के कटने से आक्रोशित जनता इन अधिकारियों और राजनेताओं को राक्षस के शब्दों से सम्मानित कर रही थी, ये अधिकारी और राजनेता वो हैं जो इस जनता का ही खाते हैं जनता पर राज करते हैं और जनता को खत्म करने की कोशिशें कर रहे हैं दरअसल विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के बहुत सारे उदाहरण देखने को मिलते हैं नगर निगम परिषद का नवीन भवन जमना बाग नर्सरी में प्रस्तावित हो जहाँ हजारों पेड़ों की बलि दी जानी है लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं क्योंकि लोगों के लिए साँसें नहीं पैसा जरूरी है, बच्चों की फ़िक्र किसीको नहीं है इसलिए पेड़ से ज्यादा कंक्रीट के जंगल उगा दिए हैं जिनमें मौजूद मौत के चैम्बर एक दिन भावी पीढ़ी को निगल जाएंगे हम अब भी नहीं जागे तो हमारे मासूम बच्चों के लिए ऑक्सीजन जोन खत्म हो जाएगा और हमें कोरोनाकाल की तरह शुद्ध हवा भी पैसों से खरीदनी होगी जो अभी ये पेड़ हमें फ्री में प्रदान कर रहे हैं।