अपने पुरखों की विरासत जीवाजी क्लब को बचा पाएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया…?
चुनावी दौर में सिंधिया राजघराने के वर्चस्व को चुनौती…
जीवाजी क्लब में एंटी सिंधिया कैम्पेन के सहारे वोट बैंक जुगाड़ने की कोशिश हो रही है…?
क्या सिंधिया राजवंश की विरासत रहा जीवाजी क्लब अब सिंधिया से अलग हो जाएगा…?
देखिए खास रिपोर्ट
ये सवाल तब उठता है जब पहली बार जीवाजी क्लब के चुनाव में जीवाजी क्लब का मालिकाना हक हासिल करने की बात कही जा रही हो…
दरअसल ग्वालियर के कथित संभ्रांत लोगों का सबसे एलीट क्लास ऑर्गनाइजेशन जीवाजी क्लब जहाँ प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक और उद्योगपतियों का जमावड़ा होता है मनोरंजन का सबसे बड़ा अड्डा जिसे सिंधिया राजघराने ने 150 साल पहले एक सोसायटी को दिया था, जिससे शहर के संभ्रांत कहे जाने वाले लोग वहाँ मौज मजा कर सकें, और घर से बाहर सुकून के कुछ पल गुजार सकें, अब हो सकता है कि आने वाले समय में यहाँ आपको सिंधिया राजवंश की निशानियां नजर नहीं आएंँ, इसका कारण भी हम आपको बता देते हैं और वो ये है कि चुनावी मैदान में उतरे शहर के दिग्गजों को सिंधिया राजघराने का आधिपत्य स्वीकार नहीं है हालांकि ये जीवाजी क्लब रियासत काल में सिंधिया शासकों ने ही जनहित के लिए दिया था लेकिन कालांतर में सिंधिया राजघराने से मोहभंग होने और अलग अलग पॉवर सेंटर होने के चलते इस तरह के चुनावी मुद्दे कहीं सिंधिया परिवार की खिलाफत की शुरुआत तो नहीं,
हालांकि सिंधिया राजघराने के सिपहसालार और खासमखास माने जाने वाले लोग इसे शुरू से ही नकारते हैं महल के खासमखास और सिंधिया जी के जनसंपर्क का काम देख रहे केशव पांडेय का कहना है ये क्लब सिंधिया राजघराने ने ग्वालियर वासियों की सुविधा के लिए दिया था, जो लोग इस पर मालिकाना हक की बात कर रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि आपको कोई सुविधा दी गई है तो उस पर अपना मालिकाना हक जताना गलत बात है, वहीं क्लब के वर्तमान अध्यक्ष संग्राम कदम इस मुद्दे को सिरे से खारिज करते हैं उनका कहना है कि क्लब की सोसायटी के पास मालिकाना हक पहले से है सिंधिया शासकों द्वारा ऐसी कई संस्थाएं जनहित के लिए दी गई थीं इसलिए जो लोग बिना जानकारी के इस तरह के सवाल उठा रहे हैं ये पूरी तरह गलत है।