दादा ने दुर्घटना के बाद दिया था इस्तीफा_पोते ने 275 मौतों पर मनवा दिया जश्न

क्रिकेट के बेशर्म कर्णधारों ने 275 की मौत के बाद मनवा दिया क्रिकेट का जश्न

दादा महाराज की नहीं तो किसके नक्शेकदम पर हैं छोटे सिंधिया

देखिए खास रिपोर्ट 

एक श्रीमंत माधवराव सिंधिया थे जिन्होंने ताउम्र जनसेवा और जनहित को सर्वोपरि रखा एक ये हैं जिन्हें सैंकड़ों की मौत का भी मलाल नहीं, माथे पर जरा भी शिकन नहीं बस दो मिनट के मौन से हो गया कर्तव्य पूरा।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं ग्वालियर में इन दिनों चल रहे एमपीएल की जिसका खुमार ग्वालियर के क्रिकेट प्रेमियों में खुमार पर है। और हो भी क्यों न आखिर सिंधिया राजवंश के इकलौते चश्मोचिराग ने इस आयोजन की आधारशिला रखी थी। लेकिन इस बार यह एमपीएल यानि मध्यप्रदेश प्रीमियर लीग आयोजन एयरक्रैश में मारे गए 275 यात्रियों की मौत का जश्न बन कर रह गया। बता दें कि जिस दिन अहमदाबाद में भारत की सदी की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई उसके चंद घंटों बाद सिंधिया के नाम से ग्वालियर के श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्टेडियम में जश्न का माहौल था। ग्वालियर में हुए इस मैच के आयोजन से एक बा तो साफ है कि आधुनिक और प्रोफेशन पीढ़ी को अब लोगों के मरने से फर्क नहीं पड़ता। और यही साबित किया ग्वालियर राजघराने के वारिस महानआर्यमन सिंधिया ने। हालांकि स्टेडियम में जश्न से पहले किए गए दो मिनट के मौन में उन 275 लोगों की आत्मा को असीम शांति का अनुभव हुआ होगा जो जिंदा ही चिता में समा गए। इस मैच को एक दिन के लिए रोका जा सकता तो शायद ग्वालियर चम्बल अंचल के महान नेता श्रीमंत माधवराव सिंधिया की आत्मा को सुकून मिलता लेकिन हाय रे नई पीढ़ी के युवराज को किसी की मौत से कोई फर्क नहीं। हम महानआर्यमन का नाम यूँ ही ले रहे हैं इसकी एक खास वजह है की एमपीसीए और जीडीसीए में सिंधिया की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। चाहे वो एमपीसीए के अभिलाष खांडेकर हों या जीडीसीए के प्रशांत मेहता इन दोनों की धुरी एकमात्र सिंधिया परिवार ही रहा है।
काश एक दिन बाद होने वाली बारिश यदि एक दिन पूर्व हो जाती तो बरसात के बहाने ही सही कम से कम ग्वालियर चम्बल अंचल की संवेदनहीनता का नजारा दुनिया को नहीं दिखाई देता। मैच रोक दिया जाता और एक समय सिंधिया राजवंश की राजधानी रही ग्वालियर रियासत की इज्जत बच जाती।

 

आखिर क्यों हैं इतनी संवेदनहीनता_क्या सिंधिया राजवंश की नई पीढ़ी का जनता से जुड़ाव होगा

एक श्रीमंत माधवराव सिंधिया थे जिन्होंने ताउम्र जनसेवा और जनहित को सर्वोपरि रखा एक ये हैं जिन्हें सैंकड़ों की मौत का भी मलाल नहीं, माथे पर जरा भी शिकन नहीं बस दो मिनट के मौन से हो गया कर्तव्य पूरा।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं ग्वालियर में इन दिनों चल रहे एमपीएल की जिसका खुमार ग्वालियर के क्रिकेट प्रेमियों में खुमार पर है। और हो भी क्यों न आखिर सिंधिया राजवंश के इकलौते चश्मोचिराग ने इस आयोजन की आधारशिला रखी थी। लेकिन इस बार यह एमपीएल यानि मध्यप्रदेश प्रीमियर लीग आयोजन एयरक्रैश में मारे गए 275 यात्रियों की मौत का जश्न बन कर रह गया। बता दें कि जिस दिन अहमदाबाद में भारत की सदी की सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई उसके चंद घंटों बाद सिंधिया के नाम से ग्वालियर के श्रीमंत माधवराव सिंधिया स्टेडियम में जश्न का माहौल था। ग्वालियर में हुए इस मैच के आयोजन से एक बा तो साफ है कि आधुनिक और प्रोफेशन पीढ़ी को अब लोगों के मरने से फर्क नहीं पड़ता। और यही साबित किया ग्वालियर राजघराने के वारिस महानआर्यमन सिंधिया ने। हालांकि स्टेडियम में जश्न से पहले किए गए दो मिनट के मौन में उन 275 लोगों की आत्मा को असीम शांति का अनुभव हुआ होगा जो जिंदा ही चिता में समा गए। इस मैच को एक दिन के लिए रोका जा सकता तो शायद ग्वालियर चम्बल अंचल के महान नेता श्रीमंत माधवराव सिंधिया की आत्मा को सुकून मिलता लेकिन हाय रे नई पीढ़ी के युवराज को किसी की मौत से कोई फर्क नहीं। हम महानआर्यमन का नाम यूँ ही ले रहे हैं इसकी एक खास वजह है की एमपीसीए और जीडीसीए में सिंधिया की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। चाहे वो एमपीसीए के अभिलाष खांडेकर हों या जीडीसीए के प्रशांत मेहता इन दोनों की धुरी एकमात्र सिंधिया परिवार ही रहा है।

काश एक दिन बाद होने वाली बारिश यदि एक दिन पूर्व हो जाती तो बरसात के बहाने ही सही कम से कम ग्वालियर चम्बल अंचल की संवेदनहीनता का नजारा दुनिया को नहीं दिखाई देता। मैच रोक दिया जाता और एक समय सिंधिया राजवंश की राजधानी रही ग्वालियर रियासत की इज्जत बच जाती।

 

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